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भोपाल: माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर यह चर्चा……..

क्या एमसीयू में फिर बैठाया जाएगा जातिगत समीकरण

भोपाल: माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर यह चर्चा……..

क्या एमसीयू में फिर बैठाया जाएगा जातिगत समीकरण ?

ब्राह्मण वर्ग से मिलेगा अगला कुलपति, लगाए जा रहे कयास

✍️ *राजेन्द्र पाराशर ब्यूरो चीफ*
भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर यह चर्चा सामने आई है कि क्या जातिगत समीकरण बैठाकर फिर से ब्राह्मण वर्ग से किसी को कुलपति बनाया जाएगा। वैसे एनएसयूआई ने इस पद पर इस बार दलित वर्ग को महत्व देते हुए इस वर्ग से कुलपति बनाने की मांग उठाई है। वहीं कुलपति की नियुक्ति में अब तक का इतिहास तो यह बताता है कि ब्राह्मण वर्ग को ही इस पद आसीन होने का मौका मिला है।
वैसे तो माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना दादा माखनलाल चतुर्वेदी के नाम से की गई। वे खुद ब्राह्मण जाति से थे। मगर पूर्व में विश्वविद्यालय की स्थापना के समय 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने राधेश्याम शर्मा को विश्वविद्यालय का महानिदेशक बनाया था। स्थापना के समय यह पद कुलपति का ना होकर महानिदेशक का था। मगर भाजपा सरकार में बनाए गए पहले महानिदेशक भी ब्राह्मण वर्ग से थे। लेकिन 1993 में जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने तो शर्मा ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद अरविंद चतुर्वेदी को महानिदेशक बनाया गया। 1996 में छात्रों ने आंदोलन किया तो चतुर्वेदी को हटाकर तत्कालीन आईएएस अधिकारी भागीरथ प्रसाद को महानिदेशक का प्रभार दिया गया। सिंह के कार्यकाल में पहली बार आईएएस अधिकारी को यह कमान मिली। भागीरथ प्रसाद अजा वर्ग से आते हैं। इसके बाद 1999 में रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी एससी बेहार को महानिदेशक बनाया गया था। वे भी ब्राह्मण वर्ग से नही थे। मगर इसके बाद जब 2003 में प्रदेश में भाजपा की सरकार आई और उमा भारती मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने 2005 में पहले तो महानिदेशक पद पर अच्युतानंद मिश्रा की नियुक्ति की और बाद में 2006 में इस पद को समाप्त कर कुलपति पद में बदला और पहले कुलपति बने अच्युतानंद मिश्रा। वे खुद ब्राह्मण थे। मिश्रा के बाद से अब तक विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर इस वर्ग की खासी पैठ रही और इसी वर्ग से कुलपति बनाए जाते रहे। इसके पीछे कोई कारण नहीं, बल्कि योग्यता रही है। वहीं इस इतिहास को देखते हुए विश्वविद्यालय के अगले कुलपति के लिए भी यह माना जा रहा है कि ब्राह्मण वर्ग से ही कोई कुलपति बनाया जा सकता है। हालांकि कांग्रेस की एनएसयूआई शाखा इस बार दलित कुलपति की नियुक्ति की मांग कर रही है।

2006 से अब तक का सफर

अच्युतानंद मिश्रा को 2005 में विश्वविद्यालय का महानिदेशक बनाया गया था। बाद में 2006 में महानिदेशक पद को कुलपति में बदल दिया गया और मिश्रा विश्वविद्यालय के पहले कुलपति बने। 2010 में मिश्रा ने अपना कार्यकाल पूरा किया फिर प्रोफेसर बीके कुठियाला कुलपति बने। साल 2018 में प्रो.कुठियाला अपना दो बार का कार्यकाल पूरा करने के बाद हटे। साल 2018 में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वरिष्ठ पत्रकार जगदीश उपासने को कुलपति नियुक्त किया। 2018 में कांग्रेस सरकार के आने के कुछ दिनों बाद कुलपति पद से पत्रकार उपासने ने इस्तीफा दे दिया। 2019 में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी की कुलपति के पद पर नियुक्ति की थी। तिवारी के बाद के सुरेश इस विश्वविद्यालय के नए कुलपति बनाए गए। उनका कार्यकाल भी 2024 में समाप्त हो चुका है।

बाक्स
साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक होंगे कुलपति !

विश्वविद्यालय के एक वर्तमान प्राध्यापक और पूर्व प्रभारी कुलपति के बीच हुए संवाद के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि इस पद पर एक साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक कुलपति होंगे, हालांकि जिन संपादक को लेकर चर्चा हो रही है, वे वर्तमान में वरिष्ठ साहित्यकार के रूप में गिने जाते हैं। वहीं इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं, किसी तरह की अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। चर्चा करने वाले दोनों ही व्यक्ति भी इस पद के लिए दावेदारी भी कर रहे हैं, मगर जिनके खिलाफ वे अपना दर्द बयां कर रहे हैं, उनसे इन दोनों की दावेदारी कमजोर नजर आ रही है।

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