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भोपाल : प्रदेश अध्यक्ष को लेकर फिर चौंकाने वाला नाम देगी भाजपा !

भाजपा ने अजा, अजजा वर्ग को एक-एक बार मिला मौका

प्रदेश अध्यक्ष को लेकर फिर चौंकाने वाला नाम देगी भाजपा !
अजा, अजजा वर्ग को एक-एक बार मिला मौका

राजेन्द्र पाराशर ब्यूरो चीफ
भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा अपने नए प्रदेश अध्यक्ष को चुनने जा रही है। यह चयन वह दो फॉर्मूले पर करने की तैयारी कर चुकी है। माना जा रहा है कि भाजपा अपना नया प्रदेश अध्यक्ष सूबे की जातीय समीकरण को साधते हुए चुनेगी। वहीं संगठन और केन्द्रीय नेतृत्व दो फॉर्मूले पर चुनाव कराने पर जोर दे रहा है। पहला फॉर्मूला जातिगत समीकरण और दूसरा फॉर्मूला है क्षेत्रीय संतुलन। इन दोनों में से किस वर्ग और किस अंचल को मौका मिलेगा यह जल्द ही सामने आएगा। फिलहाल कयास इस बात के लगाए जा रहे हैं कि क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण बैठाते हुए नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए चौकाने वाला नाम देने की तैयारी कर रही है।
जनसंघ के बाद 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी अपने नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन करने जा रही है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की तरह इस बार पार्टी एक बार फिर चौंकाने वाला नाम इस पद के लिए देने की तैयारी में है, हालांकि अभी पत्ते खोले नहीं गए हैं। मगर पार्टी संगठन पूरी तरह से दो फार्मूले पर काम करता नजर आ रहा है। सूत्रों की माने तो भाजपा अपना नया प्रदेश अध्यक्ष सूबे की जातीय समीकरण को साधते हुए चुनेगी। भाजपा दो फॉर्मूले पर चुनाव करा सकती है। पहला फॉर्मूला यह है कि जातिगत समीकरण हो और दूसरा फॉर्मूला है क्षेत्रीय संतुलन।
अगर जातीय समीकरण के हिसाब से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष चुनती है तो हो सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष सामान्य वर्ग से ही हो, क्योंकि तर्क दिया जा रहा है कि केंद्रीय कैबिनेट में अजा-अजजा चेहरे कई हो गए हैं। वहीं ओबीसी के तौर पर प्रदेश में मुख्यमंत्री हैं। विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी क्षत्रिय समुदाय से हैं, इसलिए हो सकता है कि किसी ब्राह्मण नेता को मौका मिल सकता है। वहीं क्षेत्रीय समीकरण को ज्यादा महत्व दिया जाता है तो प्रदेश अध्यक्ष विंध्य अंचल से हो सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस क्षेत्र से एक भी मंत्री नहीं है, जिसके चलते मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला को दिया जा सकता है। इसके पीछे तर्क यह भी दिया जा रहा है कि शुक्ला के सहारे भाजपा विंध्य के साथ-साथ महाकौशल को भी साध लेगी।
अजा, अजजा वर्ग से भी दावेदार है चर्चा में
प्रदेश में विजयपुर उपचुनाव में मिली हार के बाद भाजपा का पूरा फोकस एक तरह से आदिवासी वर्ग को लेकर रहा है। इस लिहाज से माना जा रहा है कि पार्टी आदिवासी वर्ग से भी प्रदेश अध्यक्ष का चयन कर सकती है। इस वर्ग से पूर्व केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी नाम आगे आया है। सुमेर सिंह सोलंकी को युवा होने के साथ दिल्ली के नेताओं से उनके तालमेल का फायदा उन्हें मिल सकता है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग से प्रदेश के पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य का नाम भी सामने आ रहा है। वे भी इस बार दावेदारों की सूची में है। वैसे देखा जाए तो 1980 के बाद से अब तक भाजपा ने अजा और अजजा वर्ग से एक-एक बार प्रदेश अध्यक्ष चुना है। अविभाजित मध्यप्रदेश में 1997 में नंदकुमार साय को भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। इसके बाद से इस वर्ग को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। वहीं अजजा वर्ग से विभाजित मध्यप्रदेश में 2006 में सत्यनारायण जटिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि उनका कार्यकाल बहुत कम रहा। जटिया 27 फरवरी 2006 से 21 नवंबर 2006 तक ही इस पर रह सके थे।
जनसंघ के समय में विंध्य को मिला प्रतिनिधित्व
जनसंघ के समय में विंध्य अंचल से दो बार प्रदेश अध्यक्ष पद प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला था। पहली बार 1956 में रामकिशोर शुक्ल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद सतना के ही रामहित गुप्त को 1968 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। गुप्त 5 दिसंबर 1968 से नवंबर 1973 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे थे। इसके बाद 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी में विंध्य अंचल से प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी नेता की ताजपोशी नहीं हुई है।

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